Tuesday 15 September 2015

क्षमादान से बड़ा कोई पुण्य दान नहीं है- साध्वी सुचेता

एस एस जैन सभा चंडीगढ़ रोड की तरफ से सैक्टर 39 में पर्यूषण पर्व के पांचवे दिन के प्रवचन 
लुधियाना -(शिवराज शर्मा ) धनदान,अन्नदान,पानदान,औषधदान और ज्ञान दान सहित अन्य सभी दानों में सबसे बड़ा दान क्षमादान है। क्षमादान से बड़ा कोई पुण्य दान नहीं है। उपरोक्त बातें आचार्य भगवन श्री सुभद्र मुनि जी महाराज की आज्ञा नुवर्तिनी एवम जैन भारती गुरुणीचार्य श्री सुशील कुमारी जी म. की सुशिष्या साध्वी रतना श्री सुचेता जी म. , श्री स्वाति जी म. ठाणे-5 की निश्रा में एस एस जैन सभा चंडीगढ़ रोड की तरफ सैक्टर 39 में आयोजित पर्यूषण पर्व के पांचवे दिन श्रावकों को स्वाध्याय का महत्व समझाते कही। उन्होने अभयदान को मूलदान बताते हुए कहा कि बाकी के दान उसकी रक्षा के लिए बाढ़ के सामान हैं। प्राणी को अगर जीवन में कुछ लेने का चुनाव करना पड़े तो वह अभयदान ही लेगा। तप और स्वाध्याय विषय पर चर्चा करते हुए साध्वी जी ने कहा कि तप से शरीर सोने की तरह निखरता है और आत्मज्ञान का प्रकाश की तरह फैलता है। इसलिए मनुष्य को सुख सुवधिाओं की लोभ किए बिना आत्मज्ञान व आत्म अनुभूति के लिए तप और स्वाध्याय को अपनाना चाहिए। इस अवसर पर महिन्द्रपाल जैन, विनोद जैन, देवराज जैन, दविन्द्र अग्रवाल, नितिन जैन, दीपक जैन, संजीव जैन, रमेश जैन, कुंवर रजन जैन., प्रीती जैन, सष्मा जैन, किरण जैन सहित अन्य भी उपस्थित थे।

No comments:

Post a Comment