Sunday 11 January 2015

लोधी क्लब के चुनावी दंगल में उतरे तीसरे सशक्त ग्रुप के उम्मीदवार पवन गर्ग, गुरभेज छाबड़ा व गौरव गोल्डी

* तीनों उम्मीदवार आज भरेंगे नामाकंन पत्र 
 लुधियाना-(सम्राट )
 लोधी क्लब के चुनावी दंगल में तीसरे सशक्त ग्रुप के रुप में मैदान मेंं उतरे महासचिव पद के मजबूत उम्मीदवार पवन गर्ग, उपाध्यक्ष पद के उम्मीदवार गुरभेज सिंह छाबड़ा और स्पोटर्स सचिव पद के उम्मीदवार गौरव सिंह गोल्डी ने लोधी क्लब के चुनावों को पारिवारिक चुनाव बताते हुए प्रतिष्ठा का सवाल न बना कर निष्काम भाव से सेवा के लिए चुनाव मैदान में उतरने की घोषणा करते हुए बाकी के सात पदों पर लोधी क्लब की बेहतरी के लिए कार्य करने का एंजेडा रखने वाले उम्मीदवारों को समर्थन करने की घोषणा की। तीनों उम्मीदवार सोमवार को अपने नामांकन पत्र दाखिल करेंगे। उपरोक्त घोषणा पिछले 8 वर्षो से क्लब में विभिन्न पदों पर कार्यरत रहे पवन गर्ग ने उपाध्यक्ष पद के उम्मीदवार गुरभेज छाबड़ा और स्पोटर्स सचिव पद के उम्मीदवार गौरव सिंह गोल्डी की मौजूदगी में पक्खोवाल रोड स्थित एक रिसोर्ट में आयोजित पत्रकार सम्मेलन को संबोधित करते हुए दी। तीन पदों ही अपने प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतारने और बाकी पदों पर किसको समर्थन के सवाल पर पवन गर्ग ने कहा कि उनका मकसद क्लब चुनावों को प्रतिष्ठा का सवाल बनाना नहीं बल्कि क्लब की बेहतरी के लिए कार्य करने वालों को क्लब प्रंबधों की कमान सौंप कर सदस्यों को बेहतर सुविधाएं उपलब्ध करवाना है। न कि देर रात तक चलने वाली पार्टियों से सदस्यों को प्रभावित करके वोट बटोर कर अपना वर्चस्व कायम करना है। गर्ग ने बताया कि उनकी टीम के सदस्य क्लब के हर सदस्य से निजी संपर्क करके क्लब की बेहतरी के लिए अपनी तरफ से तैयार किए गए एंजेडे से अवगत करवा रहें है। क्लब की बेहतरी के लिए तैयार की गई रणनिति पर चर्चा करते हुए उन्होने कहा कि चुनावों के बाद वह सर्वसम्म्ति से मासिक सदस्यता शुल्क को आधा करवाने, क्लब मेंं लिफ्ट का प्रबंध करने, सीनीयर सिटीजन सदस्यों के विशेष सहूलतें दिलवाने, सविमिंग पुल को हर मौसम के अनुकूल बनाने , पार्किग व्यवस्था में सुधार करने के प्रयास करेंगे। उपाध्यक्ष पद के उम्मीदवार गुरभेज सिंह छाबड़ा और स्पोटर्स सचिव पद के उम्मीदवार गौरव सिंह गोल्डी ने पवन गर्ग की बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि हम तीनों का मकसद ग्रुपबाजी से उपर उठकर चुनाव को निजी रंजिश के तौर पर नहीं बल्कि पारिवारिक चुनाव के तौर पर मैदान में उतर कर आपसी सदभाव बनाए रखना है। न कि पारिवारिक चुनावों से आपसी संबधों में कड़वाहट पैदा करना।

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