Tuesday 20 January 2015

शिअद व भाजपा का शीतयुद्ध ठंडे बस्ते में

-भाजपा ने वाकयुद्ध पर लगाई लगाम-शिअद भी सास बहु का रिश्ता बताने लगा
लुधियाना-(सम्राट ) दिल्ली विधानसभा चुनाव की गर्मी ने पंजाब के भाजपा नेताओं को ठंडा कर दिया है। कुछ दिन पूर्व गठबंधन धर्म को छिक्के पे टांग कर एक दूसरे के खिलाफ बयानबाजी दाग रहे भाजपा व शिअद के नेता अब न केवल बिल्कुल शांत हो गए है, बल्कि सियासी स्टेजों पर भी एकसाथ दिख रहे है। सियासी विद्वान इसका कारण दिल्ली विस चुनाव मान रहे है। सूत्रों के अनुसार मिशन दिल्ली फतेह भाजपा ही नहीं बल्कि प्रधानमंत्री नरिंदर मोदी की भी साख का सवाल है। भाजपा के राष्ट्रीय प्रधान अमित शाह समेत वरिष्ठ पार्टी नेताओं ने दिल्ली में डेरा डालकर मिशन दिल्ली फतेह की रूपरेखा तैयार कर ली है तथा आने वाले दिनों में पूरी ताकत झौकने को तैयार है। भाजपा कभी भी यह नहीं चाहेगी कि जम्मू कश्मीर की भांति उन्हें दिल्ली में भी किसी भी प्रकार से पिछडे। यही कारण है कि भाजपा किसी भी कीमत पर एक सीट का भी रिस्क नहीं लेना चाहती है। चूकी दिल्ली में सिख वोटरों की तादाद अ‘छी खासी है तथा दिल्ली विधानसभा के रास्ते की सीढिय़ां सिख मतदाताओं के हल्कों से भी होकर आती है। इसलिए भाजपा हाईकमान ने पंजाब नेतृत्व को स्पष्ट कर दिया है कि प्रदेश के गठबंधन दल शिरोमणि अकाली दल के साथ किसी भी प्रकार की विरोधी बयानबाजी में न पड़ा जाए। क्योंकि इसका असर दिल्ली चुनाव में शिअद समर्थक वोटरों पड़ सकता है। सियासी पंडितों का कहना है कि माघी की कांफ्रेंस में भाजपा के प्रदेश प्रधान कमल शर्मा का आना तथा शिअद के साथ स्टेज सांझी करना सीस फायर का ही ऐलान था। इसी स्टेज पर सीएम प्रकाश सिंह बादल ने भाजपा के साथ शिअद के रिश्ते को सास-बहु के रिश्ते जैसा बताया था। उल्लेखनीय है कि हरियाणा की भांति दिल्ली चुनाव में भाजपा नेता नवजोत ङ्क्षसह सिद्धू भी सिख हल्कों में जाकर शिअद पर किसी प्रकार के सियासी प्रहार नहीं कर पाएंगे क्योंकि दिल्ली में शिअद भाजपा के साथ मिलकर ही चुनाव मैदान में अपने उम्मीदवार उतारेगी। इस बारे में शिअद सुखबीर सिंह बादल ने स्पष्ट कर दिया है कि शिअद सीटों की एडजस्ट भाजपा नेतृत्व के साथ मिलकर कर लेंगे। --- जिलों में उठापटक जारी पिछले दिनों अमृतसर नगर निगम में भाजपा व शिअद में खूब खाना जंगी होती रही है। जबकि इन दिनों लुधियाना नगर निगम के भाजपा पार्षद व जिला भाजपा नेतृत्व अकाली दल के मेयर हरचरण सिंह गोहलवडिया से गुस्साए हुए है। इसका कारण निगम की एफएंडसीसी के गठन के दौरान भाजपा के विरोध के बावजूद मेयर द्वारा एक कांग्रेस पार्षद को बतौर सदस्य लेना है। भाजपा इसके खिलाफ बयानबाजी के अलावा लीगल रास्ता अख्तियार कर चुकी है। दिलचस्प बात यह है कि महानगर में दोनों दलों के नेता चाहे एक दूसरे का सियासी तौर विरोध करे लेकिन दिल्ली चुनाव में इन्हें गठबंधन धर्म के तहत एक साथ प्रचार में जुटना पडेगा।


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